महिला अस्पताल में एडीएम के निरीक्षण में सीएमएस, डाक्टर, फार्मेसिस्ट, रेडियोलाजिस्ट, वार्ड ब्वाय और आपरेटर समेत 29 लोग गैरहाजिर मिले। सुबह आठ बजे से अस्पताल खुल जाना चाहिए, लेकिन यहां तो पौने नौ बजे तक भी स्टाफ नहीं आया था। इस स्थिति में यहां मरीजों को कैसी सुविधाएं मिल रही हैं, इस पर सवाल खड़ा हो गया है।
जिला अस्पताल और महिला अस्पताल का बुरा हाल है। जिला अस्पताल की पोल कुछ दिन पहले हुए निरीक्षण में खुल चुकी है, जबकि शनिवार को महिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं सामने आईं। सुबह 8:30 बजे एडीएम रविंद्र कुमार ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। इस समय महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बसंत लाल गैरहाजिर थे।
डाक्टर सुनीता सागर, डा. किशोर कुमार माथुर, डा. देवेंद्र, डा. रिचा शर्मा, डा. कृष्णा शर्मा और डा. पल्लवती गुप्ता भी अस्पताल में नहीं थीं। अस्पताल में 29 लोग गैरहाजिर मिले। इसके बाद अल्ट्रासाउंड कक्ष, योगा कक्ष भी बंद मिला।
दवा वितरण भी नहीं हो पा रहा है। डाक्टरों के इंतजार में यहां मरीज भटक रहे थे। इसके बाद सभी वार्डों का निरीक्षण किया गया, यहां भारी गंदगी थी। टायलेट भी साफ नहीं हो सका था। एडीएम ने बताया कि डीएम को इसकी रिपोर्ट दे दी गई है।
स्टाफ पर वसूली करने का आरोप
एडीएम ने मरीज और उनके तीमारदारों से पूछा तो सभी ने बताया कि स्टाफ वसूली करता है। नर्सें पैसे की मांग करती हैं। यदि पैसा नहीं देते तो मरीज को कोई देखने तक नहीं आता। कुछ लोगों ने गंदी चादरें भी दिखाईं।
तीन-तीन दिन से चादरें नहीं बदली गई थीं। मरीजों ने कहा कि सुबह के नाश्ते में भी कुछ नहीं मिलता है, जबकि दूध और ब्रेड मिलनी चाहिए। खाने में पहले दाल दी जाती थी, लेकिन अब वह भी बंद कर दी गई है।